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सोने चांदी से कम नहीं यह सब्जी, जानिये क्यों है अमीरों की पहली पसंद

सोने चांदी से कम नहीं यह सब्जी, जानिये क्यों है अमीरों की पहली पसंद

आजकल बाजार में तरह तरह की सब्जियां देखने को मिल रही हैं. जिनका ना सिर्फ रंग रूप बाकियों से अलग होता है बल्कि महंगी भी होती हैं. हालांकि खाने की चीज कोई भी हो, ज्यादातर महंगी ही होती है. लेकिन एक सब्जी ऐसी भी है, जो इतनी महंगी है जिसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है. हम बात कर रहे हैं हॉप शूट नाम की सब्जी की. विटामिन् ई, बी, सी और खनिज तत्वों से भरपूर इस सब्जी को अमीरों की सब्जी क्यों कहते हैं, आप इस बारे में तो जरुर सोच रहे होंगे. तो आपको बता दें कि, हॉप शूट की सोने चांदी से कम नहीं है. इस सब्जी की कीमत इतनी ज्यादा है कि, इसे सिर्फ आमिर लोग ही अपनी प्लेट में सजाना पसंद करते हैं. बात इसकी कीमत की करें तो ये लाख रुपये के करीब है. महानगरों में मिलने वाली इस सब्जी को खाना है तो इससे पहले इसे ऑर्डर करना पड़ता है.

हॉप शूट के बारे में

हॉप शूट के बारे में बताएं तो यह दुनिया की सबसे महंगी
सब्जियों में शुमार है. बाजार में इसकी कीमत हमेशा 80 हजार से करीब एक लाख रुपये प्रति किलो तक रहती है. जिस वजह से सिर्फ बड़े और खानदानी लोग ही इसे खरीदने की हिम्मत दिखा पाते हैं. इसकी कीमत जितनी ज्यादा है, उतनी ही ज्यादा इसकी खेती करने में मेहनत लगती है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक एल्कोहल को बनाने में इसके फूलों का इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा हर्बल प्रोडक्ट्स बनाने में ही हॉप शूट का इस्तेमाल किया जाता है.

कैंसर से लड़ने में करे मदद

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हॉप शूट में ज्यादा मात्रा में विटामिन ई, बी, ससी समेत कई तरह के खनिज तत्व पाए जाते हैं. इसके अलावा इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट के भी गुण होते हैं. इसके अलावा इसमें कई तरह की बिमारियों से लड़ने की भी ताकत होती है, जिससे शरीर मजबूत बनता है. अगर आपको चिंता, तनाव, टेंशन, बेचैनी, चिडचिडापन या फिर घबराहट की समस्या है तो, हॉप शूट के सेवन से इससे छुटकारा पाया जा सकता है. इसकी अनगिनत खूबियों की वजह से इसकी कीमत काफी ज्यादा है. एक्सपर्ट्स की मानें तो हॉप शूट खाने से शरीर को कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से लड़ने की ताकत मिलती है. ये भी देखें: परती खेत में करें इन सब्जियों की बुवाई, होगी अच्छी कमाई

इन देशों में हॉप शूट को समझा जाता है कचरा

शोध के मुताबिक हॉप शूट को खाने से मसल्स में दर्द और बदन में दर्द की शिकायत से आराम मिलता है. इसके अलावा डायजेशन की समस्या से निपटने में भी हॉप शूट काफी मददगार है. नींद से जुड़ी समस्या का समाधान भी इस सब्जी के पास है. हॉप शूट को कच्चा भी खाया जाता है. खाने में कड़वा टेस्ट होने की वजह से इसका आचार भी बनाकर खाया जा सकता गौ. इस सब्जी की कीमत काफी ज्यादा है, जिसके बाद भी ब्रिटेन समेत कई देशों में इसे कचरा समझा जाता है. हॉप शूट सब्जी के बारे में ये कुछ ऐसी खास बाते हैं, जिनको जानना तो हर कोई चाहता है, लेकिन इसे खरीदना हर किसी के बस की बात नहीं है.
कंटोला एक औषधीय गुणों से भरपूर सब्जी है, इसके सेवन से कई सारे रोग दूर भाग जाते हैं

कंटोला एक औषधीय गुणों से भरपूर सब्जी है, इसके सेवन से कई सारे रोग दूर भाग जाते हैं

आज हम इस लेख में कंटोला नामक बागवानी फसल के विषय में बात करेंगे। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि कंटोला के अंदर भरपूर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। इसमें मौजूद फाइटोकेमिकल्स और एंटीऑक्सीडेंट हमारे शरीर को स्वस्थ व सेहतमंद रखते हैं। हमारे शरीर के बेहतरीन स्वास्थ्य के लिए अच्छे पोषक तत्वों की काफी जरूरत होती है। इसके लिए हमें कई तरह की सब्जियों का सेवन करना चाहिए, जो हमारे शरीर में पोषक तत्वों की कमी को पूरा करें। साथ ही, हमें बाकी बीमारियों से भी दूर रखें। ऐसी स्थिति में आज हम आपको एक बेहद ही फायदेमंद सब्जी कंटोला के संबंध में बताने जा रहे हैं, जो आयुर्वेद में एक ताकतवर औषधि के तौर पर मशहूर है। इस सब्जी के अंदर मांस से 40 गुना अधिक प्रोटीन विघमान होता है। इस सब्जी में उपस्थित फाइटोकेमिकल्स हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को काफी बढ़ाता है। इसकी खेती विशेष रूप से भारत के पहाड़ी हिस्सों में की जाती है। भारत में इसे अन्य लोकल नाम कंकोड़ा, कटोला, परोपा एवं खेख्सा के नाम से जाना जाता है।

कंटोला की फसल हेतु खेत की तैयारी

कंटोला की खेती के लिए बलुई दोमट मृदा काफी अच्छी होती है। आप खेत की जुताई के बाद इसपर कम से कम 2 से 3 बार पाटा जरुर चला दें. इसकी बेहतर पैदावार के लिए खेत में समय-समय पर गोबर की खाद मिला कर जैविक तरीके से खाद देते रहें। किसी भी फसल की बेहतरीन उपज के लिए खेत की तैयारी काफी अहम भूमिका अदा करती है।

कंटोला की बुआई कब की जाती है

कंटोला एक खरीफ के समय में उत्पादित की जाने वाली फसल है। गर्मी के समय में मैदानी इलाकों में जनवरी और फरवरी महीने के अंतर्गत उगाई जाती है। साथ ही, खरीफ की फसल की जुलाई-अगस्त में बुवाई की जाती है। इसके बीजों को, कंद अथवा कटिंग के जरिए से लगाया जाता है।

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कंटोला की कटाई कब की जाती है

कंटोला के फल का बड़े आकार में होने पर ही इसकी कटाई की जाती है। इन फलों की मुलायम अवस्था में दो से तीन दिनों की समयावधि पर नियमित तुड़ाई करना फायदेमंद होता है। कंटोला की खेती करना किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।

कंटोला में कौन कौन से औषधीय गुण विघमान हैं

कंटोला अपने औषधीय गुणों की वजह से जाना जाता है। यह हमारे शरीर की पाचन शक्ति को बढ़ाता है। इसमें उपस्थित रासायनिक यौगिक मानव शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। यह शरीर के ब्लड शुगर लेवल, त्वचा में दरार एवं आंखों के बेहतरीन स्वास्थ्य के लिए सहायक साबित होता है। यह किडनी में होने वाली पथरी को भी दूर करता है। साथ ही, बवासीर के मरीजों के लिए भी लाभदायक होता है।
जानें फॉक्सग्लोव फूल की खासियत और इसके नुकसान के बारे में

जानें फॉक्सग्लोव फूल की खासियत और इसके नुकसान के बारे में

फॉक्सग्लोव फूल जितना सुंदर नजर आता है, उससे कई गुना ज्यादा यह खतरनाक भी है। दरअसल, कोई भी इसका सेवन करता है, तो उसको अचानक से कभी भी हार्ट अटैक (Heart Attack) आ सकता है। क्योंकि, इसके अंतर्गत कार्डियक ग्लाइकोसाइड्स नामक शक्तिशाली कंपाउंड होता है। फूल की खूबसूरती एवं उसकी सुगंध हर किसी को अपनी तरफ आकर्षित करती है, जिसकी वजह से बाजार में इसकी मांग काफी ज्यादा होती है। हमारे भारत में ऐसे विभिन्न प्रकार के फूलों की खेती की जाती है, जो नजर आने में अत्यंत ज्यादा सुंदर होते हैं। परंतु उसके बने उत्पाद काफी ज्यादा खतरनाक होते हैं। ऐसे ही एक फूल के विषय में आज हम आपको जानकारी देने जा रहे हैं, जो दिखने में बेहद ही ज्यादा सुंदर है। परंतु, यह जितना सुंदर है, उतना ही हानिकारक भी है। दरअसल, हम जिस फूल की बात कर रहे हैं, उसका फूल का नाम फॉक्सग्लोव (Foxglove) है। इस फूल पर जब वैज्ञानिकों ने शोध किया तो देखा गया कि इस फूल से निर्मित उत्पादों का सेवन करने से हार्ट अटैक का संकट बढ़ जाता है। क्योंकि, इस फूल के अंदर कार्डियक ग्लाइकोसाइड्स नाम का पावरफुल कंपाउंड उपस्थित होता है। बतादें, कि फॉक्सग्लोव फूल का सबसे ज्यादा इस्तेमाल हर्बल चिकित्सा (Herbal Medicine) में किया जाता है।

फॉक्सग्लोव फूल के अंदर विष विघमान होता

मीडिया खबरों के अनुसार, फॉक्सग्लोव फूल में कार्डियक ग्लाइकोसाइड्स नाम का काफी शक्तिशाली कंपाउंड पाया जाता है। जोकि हमारे शरीर के लिए विष के समान है। इसका सेवन करने से हृदय संबंधित बीमारी भी हो सकती है। इस फूल की वजह से व्यक्ति को अचानक से हार्ट अटैक भी आ सकता है। ऐसा कहा जा रहा है, कि इस फूल से वेंट्रिकुलर फाइब्रिलेशन जैसी परिस्थिति भी उत्पन्न हो सकती है।

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यह फूल कब काम आता है

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि इस फूल की सबसे बड़ी विशेषता यह है, कि यह उस समय उपयोग किया जाता है, जब समस्त प्रकार की औषधियां काम करना बंद कर देती हैं। ऐसी स्थिति में इस फूल के पौधे से बनी दवा का सेवन कराया जाता है, ताकि वह बच सकें। बतादें, कि शोध में पाया गया है, कि यह फूल हार्ट की मांसपेशियों पर सीधे कार्य करता है। किसी आदमी का ह्रदय कार्य करना बंद कर देता है, तो ऐसे में फॉक्सग्लोव फूल संजीवनी का भी कार्य करता है। यह मानव के संपूर्ण शरीर में ब्लड पंप करता है।

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किस वजह से ना करें फॉक्सग्लोव फूल का सेवन

बतादें, कि हार्ट फेलियर रोगियों के लिए तो यह फॉक्सग्लोव फूल बेहद सहायक है। लेकिन, उधर यदि अन्य कोई व्यक्ति गलती से भी इस फूल के पौधे को अपने मुंह में रख लेता है, तो उसे तुरंत अपने आसपास के चिकित्सक को दिखाना चाहिए। अन्यथा वो इस जहरीले पौधे से अपनी जान तक को गवा सकता है। इसका सेवन करने से व्यक्ति को उल्टी, चक्कर आना, मतली, त्वचा में जलन, सिरदर्द, दस्त, धुंधलापन दिखना पेशाब से जुड़ी दिक्कत परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
औषधीय गुणों से भरपूर अर्जुन के पेड़ से संबंधित विस्तृत जानकारी

औषधीय गुणों से भरपूर अर्जुन के पेड़ से संबंधित विस्तृत जानकारी

अर्जुन के पेड़ को औषधीय पेड़ माना जाता हैं क्यूंकि इसे बहुत सी दवाइयों के लिए उपयोगी माना जाता है। यह पेड़ ज्यादातर नदी और नालों के किनारे पाए जाते है। अर्जुन का पेड़ सदाहरित रहता हैं। अर्जुन के पेड़ को अन्य कई नामो से जाना जाता हैं जैसे ,घवल और नदीसर्ज। इस पेड़ की ऊंचाई लगभग 60 -80  फ़ीट ऊँची रहती हैं। अर्जुन का पेड़ ज्यादातर उत्तर प्रदेश ,महाराष्ट्र ,बिहार और अन्य कई राज्यों नदियों के किनारे या सुखी नदियों के तल के पास पाए जाते है।  

अर्जुन का पेड़ कैसा होता हैं 

अर्जुन के पेड़ की लम्बाई काफी ऊँची रहती है। अर्जुन का पेड़ बहुत ही शुष्क इलाकों में पाया जाता हैं। अर्जुन के पेड़ को किसी भी मिटटी में उगाया जा सकता है। अर्जुन के पेड़ को अनुनारिष्ट के नाम से भी जाना जाता है। इस पेड़ का उपयोग बहुत सालों से आयुर्वेदिक दवाइयों के लिए किया जा रहा है। 

अर्जुन के पेड़ का फल कैसा होता हैं 

अर्जुन के पेड़ का फल शुरुआत हल्के सफ़ेद और पीले रंग का होता हैं ,कुछ समय पश्चात जब फल में बढ़ोत्तरी होती हैं तो ये फल हरे और पीले रंग का दिखाई पड़ता हैं ,साथ ही इसमें से हल्की हल्की सुगंध भी आने लगती है। पकने के बाद ये फल लाल रंग का दिखाई पड़ने लगता है। 

अर्जुन के पेड़ के पत्ते हैं लाभकारी 

अर्जुन के पेड़ के पत्ते खाने से ये शरीर में जमा गंदे कॉलेस्ट्रॉल को बाहर निकलता हैं। इसका सेवन सुबह खाली पेट करना चाहिए। इन पत्तों का सेवन करने से ब्लड शुगर नियंत्रित रहता हैं। 

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अर्जुन की छाल से मिलने वाले फायदे 

अर्जुन की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से खून पतला होता हैं जो शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को संतुलित बनाये रखता है। इस छाल के काढ़े का उपयोग दो से तीन महीने लगातार करना चाहिए। इस काढ़े के उपयोग से रक्तश्राव कम होता है। यह ह्रदय के रक्तचाप जैसी गतिविधियों की क्षमता में सुधार लाता है। 

पाचन किर्या में सहायक 

अर्जुन का पेड़ पाचन किर्या में सहायक होता हैं। इसकी छाल का चूर्ण बनाकर लेने से ये पाचन तंत्र को संतुलित बनाये रखता है। यह बड़े हुए चर्बी को कम करने में मदद करता हैं ,अर्जुन की छाल का सेवन लिवर जैसी समस्याओं के लिए बेहतर माना जाता है। यह वजन घटाने में भी सहायता प्रदान करती है। 

सर्दी खांसी में है लाभकारी 

अर्जुन के पेड़ की छाल का कड़ा बनाकर पीने से या फिर अर्जुन के चूर्ण में शहद मिलाकर खाने से सर्दी और खांसी दोनों में फायदा होता है। अर्जुन के पेड़ का रस औषिधि के रूप में सदियों से किया जा रहा हैं। 

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हड्डियों के जोड़ने में मददगार 

अर्जुन के पेड़ की छाल का उपयोग टूटी हुई हड्डियों या फिर मांसपेशियों में होने वाले दुखाव के लिए किया जाता हैं। इसमें छाल के चूर्ण को एक गिलास दूध में दो चम्मच चूर्ण मिलाकर पीने से हड्डियां मजबूत होती है। ये हड्डी में होने वाले दर्द से भी आराम दिलाता हैं। 

अल्सर बीमारी में है फायदेमंद 

अर्जुन का प्रयोग अल्सर जैसी बीमारी में भी किया जाता हैं। कई बार अल्सर का घाव जल्द ही नहीं भर पाता हैं। या फिर घाव सूखते ही दूसरे घाव निकल आते हैं ,इसमें अर्जुन के पेड़ की छाल का काढ़ा बनाकर ,घाव को इससे धोये।  ऐसा करने से घाव कम होने लगते हैं,साथ ही अल्सर जैसे रोग को भी नियंत्रित करता है। 

अर्जुन की छाल से होने वाले नुकसान 

अर्जुन के पेड़ को बहुत सी बीमारियों के लिए लाभकारी माना जाता हैं ,लेकिन इसके कुछ नुक्सान भी हैं जो शरीर पर गलत प्रभाव डालते है। 

सीने में जलन होना 

अर्जुन की छाल का सेवन बहुत से लोगो की सेहत के लिए ठीक नहीं रहता हैं, जिसकी वजह से उन्हें जी मचलना या घबराहट जैसी परेशानियां अक्सर हो जाती है। यदि आप छाल का सेवन कर रहे हैं और आपको ऐसा महसूस होता हैं की सीने में जलन या दर्द हो  रहा हैं तो इसका उपयोग करना उसी वक्त छोड़ दे। 

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पेट में दर्द या ऐठन का महसूस होना 

यदि छाल का उपयोग करने से आपको पेट में दर्द या और कोई परेशानी महसूस होती हैं तो छाल का सेवन करना बंद कर दे। हालाँकि अर्जुन एक आयुर्वेदिक जड़ीबूटी हैं लड़की कुछ लोगों पर इसका दुष्प्रभाव पड़ता है। 

एलेर्जी जैसो रोगों को जन्म देता हैं 

अर्जुन के पेड़ की छाल का घोल बनाकर शरीर पर लगाया जाता हैं, यह त्वचा के लिए बहुत ही लाभकारी माना जाता हैं। लेकिन इसका लेप बहुत से लोगो के शरीर एलेर्जी से जुडी समस्याओं को भी खड़ा कर देता हैं। यदि इस लेप का उपयोग करने के बाद शरीर में खुजली जैसी परेशानिया हो तो इस लेप का उपयोग न करें। 

आयुर्वेद में अर्जुन के पेड़ को बहुत ही लाभकारी माना गया हैं। अर्जुन के पेड़ में सबसे ज्यादा उपयोग छाल का किया जाता हैं। अर्जुन के पेड़ की छाल में मैग्नीशियम ,पोटेसियम और कैल्शियम पाया जाता है। इस पेड़ की छल का इस्तेमाल बहुत से रोगो में किया जाता हैं ,और ये लाभकारी भी है। अर्जुन के पेड़ की छाल का उपयोग कैंसर सम्बंधित रोगो से निपटने के लिए भी किया जाता है।  साथ ही इसके कुछ नुक्सान भी हैं। जो व्यक्ति पहले से किसी भी प्रकार की कोई दवाई ले रहा हैं ,उसे इसका सेवन डॉक्टर से परामर्श लेकर ही करना चाहिए।